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जीवनशैली व खान-पान में बदलाव से कई रोगों से मुक्ति पाई जा सकती है घरेलू वस्तुओं के उपयोग से शरीर तो स्वस्थ रहेगा ही और उस पर होने वाला खर्च भी बचेगा.
कृपया इनका अवश्य ध्यान रखें ।
- फलों का रस , अत्यधिक तेल की चीजें , मट्ठा , खट्टी चीज़े रात में नहीं खानी चाहिए।
- घी या तेल की चीजें खाने के बाद तुरंत पानी नहीं पीना चाहिए बल्कि एक डेढ़ घंटे के बाद पानी पीना चाहिये ।
- भोजन के तुरंत बाद अधिक तेज चलना या दौड़ना हानिकारक है । इसलिए कुछ देर आराम करके ही जाना चाहिये ।
- शाम को भोजन के बाद शुद्ध हवा में टहलना चाहिये , खाने के तुरंत बाद सो जाने से पेट की गड़बड़ियां हो जाती है।
- प्रात:काल जल्दी उठना चाहिए और खुली हवा में व्यायाम या शरीर श्रम अवश्य करना चाहिये।
- तेज धूप में चलने के बाद, शारीरिक मेहनत करने के बाद या शोच जाने के तुरंत बाद पानी कदापि नहीं पीना चाहिये।
- केवल शहद और घी बराबर मात्रा में मिलाकर नहीं खाना चाहिए वह विष हो जाता है।
- खाने पीने में विरोधी पदार्थों को एक साथ नहीं लेना चाहिए जैसे दूध और कटहल, दूध और दही, मछली और दूध आदि चीजें एक साथ नहीं लेनी चाहिये।
- सिर पर कपड़ा बांधकर या मौजे पहनकर कर कभी नहीं सोना चाहिये।
- बहुत तेज या धीमी रोशनी में पढ़ना ,अत्यधिक टीवी या सिनेमा देखना , अधिक गर्म ठंडी चीजों का सेवन करना, अधिक मिर्च मसालों का प्रयोग करना, तेज धूप में चलना इन सब से बचना चाहिए । यदि तेज धूप में चलना भी हो तो सर और कान पर कपड़ा बांधकर चलना चाहिये।
- रोगी को हमेशा गर्म अथवा गुनगुना पानी पिलाना चाहिए । और रोगी को ठंडी हवा, परिश्रम, तथा क्रोध से बचाना चाहिये।
- कान में दर्द होने पर यदि पत्तों का रस कान में डालना हो तो सूर्योदय के पहले सूर्यास्त के बाद ही डालना चाहिये।
- आयुर्वेद में लिखा है कि निद्रा से पित्र शांत होता है, मालिश से वायु कम होती है, उल्टी से कफ कम होता है और लंघन करने से बुखार शांत होता है इसलिए घरेलू चिकित्सा करते समय इन बातों का अवश्य ध्यान रखना चाहिये।
- आग या किसी गर्म चीज से जल जाने पर जले भाग को ठंडे पानी में डालकर रखना चाहिये।
- किसी भी रोगी को तेल, घी या अधिक चिकने पदार्थों के सेवन से बचना चाहिये।
- अजीर्ण तथा मंदाग्नि दूर करने वाली दवाई हमेशा भोजन के बाद ही लेनी चाहिये।
- मल रुकने या कब्ज होने की स्थिति में दस्त कराने हो तो प्रातःकाल ही कराने चाहिये , रात्रि में नहीं।
- यदि घर में किशोरी या युवती को मिर्गी के दौरे पढ़ते हों तो उसे उल्टी, दस्त या लंघन नहीं कराना चाहिये।
- यदि किसी दवा को पतले पदार्थ में मिला ना हो तो चाय, काफी , या दूध में न मिलाकर छाछ , नारियल पानी या सादे पानी में ही डालना चाहिये।
- हींग को सदैव देशी घी में भून कर ही उपयोग में लाना चाहिये , लेप में कच्ची हींग लगानी चाहिये।